Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 50 ( Welcome Party-3)

"कोशिश भी मत करना...वरना सिटी वाले भक्कम  पेलेंगे, बाद मे भले हॉस्टल  के पास वो मार खा जाए.. लेकिन ऑन द स्पॉट.. वो पेलेंगे ."

Bhu हाथ मे एक बड़ी सी बोतल लेकर आया और बोला"साला,  बोतल छुते ही नशा चढ़ गया, अयि साला...  चल घुमा गाड़ी उस बनिये के दुकान की तरफ....चखना लेना है "

एक दुकान से हमने एक-एक लीटर की दो पानी की बोतल ली और उसके बाद हॉस्टल  वाली रोड की तरफ बढ़ चले...बॉयज हॉस्टल  के आगे और गर्ल्स हॉस्टल  के थोड़ा पीछे एक रास्ता था, जो जंगल की तरफ जाता था.... उसी रास्ते मे अपना खूनी ग्राउंड भी था. अरुण ने बाइक उधर ही घुमाई और सड़क पर एक  जहाँ रोड लाइट जल रही थी वहाँ रोक दिया....रात को उस रास्ते से कोई गुज़रे ये कभी कभार ही होता था और रात के 11 बजे तो ये नामुमकिन था.....मैं ये जानता था कि इस वक़्त उधर से कोई नही आएगा-जाएगा, लेकिन फिर भी मैने bhu और अरुण से कहा....

"किसी ने देख लिया तो...."

"रात को तो इधर लौन्डे लोग तो माल पेलने तक नही आते.... फटी मे, फिर हमें देखने कौन आएगा "

"वो क्यूँ...."

"भूत का लफडा है इधर...."

"तब तो उसे भी दारू पिलाना पड़ेगा..."हँसते हुए मैने कहा....

अरुण ने पहले हाथ से बोतल की ढक्कन खोलने की कोशिश की,लेकिन जब कयि बार ट्राइ मारने के बाद भी बोतल नही खुली तो वो बोतल की ढक्कन को दाँत से खोलने की कोशिश करने लगा....और इधर bhu चिप्स की पॅकेट खोलकर खाए पड़ा था.....

"सच मे इधर भूत का लफडा है अरमान...."बोतल की ढक्कन खोलने के बाद वो बोला"कहते है कि हमारे कॉलेज की एक लड़की ने इधर ही सुसाइड किया था...."

"और वो आज हमारे साथ दारू पिएगी तो उसे मुक्ति मिल जाएगी, राइट "मै फिर हंसा 

अरुण ने bhu को पानी की बोतल लाने के लिए कहा और जब bhu बाइक से पानी की बोतल ले आया तो एक बोतल मुझे पकड़ा कर अरुण बोला, "आधा पानी पी जा.."मैने वैसा ही किया...शुरू मे सोचा कि शायद ऐसा करने से कम नशा चढ़ता हो,...लेकिन बाद मे जब अरुण ने शराब ,उस आधी खाली बोतल मे मिलाई तब समझ आया कि वो तो पानी की बोतल मे शराब डालने का जुगाड़ जमा रहा था.....पानी की दोनो बोतल को आधा खाली करके उसे शराब से भरकर हिलाते हुए मुझे एक इमली  के पेड़ की तरफ इशारा किया, जो अब सूखने की कगार पर था...

"वो पेड़, दिख रहा है..."

"यो..."

"वही उस लड़की ने फाँसी लगाई थी...."

"किस लड़की  ने और ये टॉपिक बंद कर.. मेरी इमेजिनशन बहुत ख़तरनाक है, यदि daru पीकर बहक गया तो पता नही क्या -क्या सोचने लगूंगा...."


"As your wish... मै तो तुझे सेक्सी कहानी सुनाने वाला था .."

अरुण तो शांत हो गया लेकिन फिर बी. एच. यू. ने चिप्स का एक टुकड़ा अपने मूह मे डालकर चबाते हुए बोला....

"यहाँ काम करने वाले स्टाफ कहते है कि , कभी कभी रात मे वो लड़की जिसने अपनी जान दी थी...बुक के साथ उसी पेड़ के नीचे पढ़ते हुए दिखाई देती है...."

"अच्छा..."मैने चिप्स का पॅकेट bhu  के हाथ से छीन कर कहा"बैक लगी थी क्या...? उस लड़की की.. जो आज तक क्लियर नही हुई  "

अरुण ने अब दोनो पानी की बोतलो मे शराब मिक्स कर दिया था और एक बोतल मुझे देते हुए बोला"शुरू मे हल्का सा कड़वा लगेगा...बाद मे सब ठीक हो जाएगा..."

अरुण ने बोतल मूह से लगाई और ऐसे पीने लगा,जैसे की वो शराब नही 100 % प्योर् वॉटर पी रहा हो, उसकी देखा सीखी मैने भी बोतल को अपने मूह मे ऊडेला और दो तीन घूट मारकर बोला"ज़्यादा कड़वा नही है..."और मैने फिर दो चार घूट मारकर बोतल bhu  को पास कर  दी....और ये दसमझने  की कोशिश करने लगा कि मुझे चढ़ि या नही....लेकिन मैं ठीक था, पहले जैसा ही नॉर्मल बिहेव कर रहा था..... नार्मल सोच रहा था और नार्मल ही ईशा के बारे मे सोच कर दर्द महसूस कर रहा था.

"ला... और दे बे..."अरुण के हाथ से मैने  बोतल छीन कर दो चार घूट और अपने पेट मे डाला, अंदर जलन तो हुई लेकिन मैं बर्दाश्त कर गया और थोड़ी देर बाद हम तीनो ने पानी की दोनो शराब मिक्स बोतल खाली कर दी...मैं अब भी पहले जैसा ही महसूस कर रहा था....

वहाँ से बाइक पर बैठकर हम तीनो कंट्री क्लब के लिए सिगरेट पीते हुए निकल गये... खुद को नॉर्मल तो मैं कंट्री क्लब मे पहुचने के बाद भी महसूस कर रहा था...लेकिन अब थोड़ा माइंड फ्री था...ऐश  का ख़याल दूर-दूर तक नही था, मतलब ख्याल तो था.. पर अब वो दर्द नही था जो गौतम और ईशा को स्टेज मे एक दूसरे से चिपकते देख मुझे हुआ था.. मतलब बवाल चीज है भाई.. ये daru भी.

उस वक़्त मेरा मन कर रहा था तो सिर्फ़ नाचने का....इधर से उधर गरियाते हुए कुद -फांद  करने का.....हम तीनो वापस नवीन के बगल मे बैठे , सभी सीनियर्स पीछे खड़े रोल जमा रहे थे और हम फर्स्ट एअर के 10-15 लड़के कॉलम मे सबसे पीछे बैठे हुए थे... वरना नियम के मुताबिक पीछे सिर्फ सुपर सीनियर ही बैठ सकते है. सामने स्टेज पर कौन चूतिया नाच रहा था,मालूम नही...लेकिन मेरा उस वक़्त खेल-कूद करने का बहुत मन कर रहा था...सारी टेन्षन उस वक़्त जैसे छु मंतर हो गयी थी और उसी वक़्त मैने अरुण से कहा

"लंगर डांस  कब चालू होगा..."

लंगर  डांस.. मतलब वही डांस जो अक्सर आपने लोगो को गणपति विसर्जन मे या फिर शादी -अवसरो पर लोगो को करते हुए देखा होगा... जब बिना मतलब के स्टेप दे दे कर लोग डांस करते है.. उसको हमारे कॉलेज मे लंगर डांस कहते थे.

"लंगर डांस कब शुरू होगा..?"मैने दोबारा पूछा

"बोल तो अभी यहिच चालू कर देते है..."

"आइडिया बुरा नही है...."

और फिर क्या था, हम 10-15 फर्स्ट एअर के जो लड़के वहाँ पीछे बैठे थे ,वही खड़े हो गये और गला फाड़ फाड़ के चिल्लाते हुए वही  उधम मचाने लगे....मैं तो छुट्टा गालियाँ बक रहा था, ये जानते हुए भी कि वहाँ टीचर्स, सीनियर्स के साथ साथ ऐश  भी मौजूद है....अब वहाँ का महॉल ये था कि 90 % स्टूडेंट्स अब पीछे मुड़कर  हमारा ही लंगर डांस  देख रहे थे. और सिर्फ 10% ही सामने स्टेज की तरफ... हमारी इस बहूदी हरकत का अंज़ाम ये हुआ कि स्टेज पर उस वक़्त जो परर्फमेन्स कर रहे थे, वो वही रुक कर बीच मे ही स्टेज छोड़कर गुस्से मे हम लोगो को गरियाते हुए वहाँ से चले गये


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जब स्टेज पर परर्फमेन्स करने वाले चले गये तो म्यूज़िक भी बंद हो गया और म्यूजिक बंद होते ही हम मानो सबको एक साथ ध्यान आया की हम क्या कर रहे है और  हम सब वही पीछे अपनी-अपनी कुर्सिया पकड़ कर शांत बैठ गये और ऐसे बिहेव करने लगे जैसे कि हमने कुछ किया ही ना हो.... वैसे शांत बैठने का कारण ये नही था की हमें अपनी करतूत realize हो गई थी.. बल्कि असली कारण ये था की हेनरी वजह से स्टेज पर डांस कर रहे जब लोग स्टेज से उतर आए तो म्यूजिक भी बंद हो गया और जब म्यूजिक बंद हुआ तो... बिना म्यूजिक के हम लोग कैसे लंगर डांस कर सकते थे...? ये हरकत हमारे लिए बहुत छोटी थी,लेकिन सामने बैठे टीचर्स, पीछे खड़े सीनियर्स और दाई तरफ बैठी हुई लड़कियो को ये बहुत बुरी लगी थी, टीचर्स के इशारे पर कुछ सीनियर्स हमारे पास आए और धीमी आवाज़  मे गुर्राते हुए बोले...


"सालो, हरामियों... प्रोफेसरस की कोई रेस्पेक्ट है या नही..  , इतने सारे टीचर्स , इतने सारे लोग यहाँ बैठे है....उनके सामने माँ बहन की गालियाँ बक रहे हो.... और कुर्सी हाथ मे लेकर हुड -दंगी और कर रहे हो..."

हम सब चुप रहे, क्यूंकी इस वक़्त सबकी नज़र हमारी तरफ ही थी, हमे चुप बैठा देखकर सीनियर्स और सर पर चढ़ गये और एक ने कहा...

"यदि अब किया तो यही पर झापड़ मार दूँगा तो मूत दोगे... फिर बोलना मत कि सबके सामने क्यूँ मारा, रहना है तो रहो,वरना चुप चाप खिसक लो..."

हम फिर चुप रहे  और जब कुछ देर तक और ऐसे ही चुप रहे तो सीनियर्स के इशारे पर प्रोग्राम फिर शुरू हुआ,अबकी बार हम मे से कोई कुछ नही बोला, सब एक दूसरे का मूह ताक रहे थे कि क्या करे, तभी वहाँ दीपिका मैम ने सज -संवर कर अपनी साडी का पल्लू ठीक करते हुए  एंट्री मारी. उसे देखकर औरो का तो पता नही पर मेरा सब कुछ वाइब्रेट  होने लगा...मालूम नही उसने कौन से स्टाइल की साडी पहनी थी.. पर फिर भी उसके अंग का बहुत हिस्सा हमारे सामने नग्न था. उन्होंने चेहरे पर क्या थोपा था... पता नही... लेकिन एकदम झक्कास लग रही थी.... मतलब देखते ही लगा की काश ये अभियेच मुझे लैब मे बुला ले.. सीधे खुद कर चढ़ जाऊंगा इसके ऊपर...


"वो...माल..."मैं सिर्फ़ इतना ही बोल पाया

मैं और भी बहुत कुछ बोलना चाहता था...लेकिन जैसे शब्द बाहर ही नही आ रहे थे, जीभ हिलती, मूह खुलता...लेकिन फिर भी मैं कुछ नही बोल पा रहा था....दीपिका मैम  अपने पर्फ्यूम की खुश्बू बिखेरती हुई, सामने प्रोफेसरस  के पास जा बैठी और दीपिका मैम  का पीछा करते हुए मेरी नज़र स्टेज पर पड़ी....

"ये साले.. बकवास कान क्यूँ फाड़ रहे है ,बंद करवा ये सब..."किसी राजा की तरह फरमान जारी करते हुए मैने अरुण से कहा...

"तुझे चढ़ गयी है..."खीस निपोर कर अरुण बोला"चुप हो जा ,वरना पेलाइ खा जाएगा..."

"कौन है साला, जो अपुन को टच करिन्गा...."अपनी चेयर से उठकर मैं अरुण के सामने खड़ा हुआ, तब मुझे पता चला कि मैं ढंग से खड़ा भी नही हो सकता...मेरा पूरा शरीर किसी पेंडुलम की तरह इधर -उधर डोल  रहा था....

"अबे ये हिल रहा रहा है..,बैठ जा चुप चाप".....

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2 Comments

Kaushalya Rani

26-Nov-2021 06:42 PM

Good written

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Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:51 PM

बहुत बढ़िया भाग

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